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श्री नमस्कार महामंत्र आलेखन द्वारा सधार्मिक उत्कर्ष योजना:-
महामंत्र नवकार की, महिमा कह सके ना कोई!
सुमिरन सेव भी अधिक फल, लेखन विधि से होय!
मन - वचन - काया का त्रियोग सध पाता है इसविध
दाता - भोकता दोनों को, लाभ शत - गुण होय!
"संघ - सुजा" कहे - महायज्ञ का नाद गूंजे चुहुं और
जन्म - जन्म का पाप मिटे, सुख - संपत्ति बहू होय घर-घर मंगल होय!!
इस योजना का मूल उद्देश्य संघ और उसके सदस्यों के बीच एक कायमी सेतु निर्माण करना है। घर में प्रतिदिन धार्मिक प्रवृत्ति शुरू हुई और परिवारों का अधिक से अधिक कल्याण हो।
जैन धर्म में करना, करवाना, अनुमोदना यह तीनों क्रिया मान्य है, समाज की प्रत्येक व्यक्ति की आर्थिक सुद्रढ़ता से ऐसे जैन समाज का निर्माण होगा जिसका उदाहरण पूरी दुनिया लेगी।